बिल्डर ने नहीं दिया फ्लैट, 2 करोड़ की जगह देने पड़ेंगे 3.60 करोड़; मामले में 3 साल बाद आया आदेश

भुगतान के बाद भी तय समय पर बिल्डर ने फ्लैट नहीं दिया तो मामले की शिकायत पीड़ीत ने ज्य उपभोक्ता आयोग में दाखिल किया। मामले में तीन साल तक कई तारीखों में सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने हर्जाना भरने का आदेश दिया।

Builder fined more 3 crore instead of 2 crore for not handing over flat in varanasi

वाराणसी निवासी संतोष सिंह ने मुंबई के चैंबूर में रीयल इस्टेट डेवलपर स्पेंटा इन्क्लेव के प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक कराया था। करीब दो करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन तय समय पर फ्लैट नहीं दिया। जांच के लिए परिसर में भी नहीं घुसने दिया। इस पर राज्य उपभोक्ता आयोग में उन्होंने वाद दाखिल किया। तीन साल तक कई तारीखों में सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने आदेश दिया कि बिल्डर दो करोड़ रुपये वापस करे। इस पर 2016 से 10 फीसदी सालाना ब्याज का भुगतान भी करे। मानसिक कष्ट के रूप में 20 लाख रुपये और वाद व्यय के रूप में 50 हजार रुपये अलग से देने का आदेश दिया। हर्जाने की ये कुल रकम करीब 3.60 करोड़ रुपये होगी। संतोष सिंह एक बड़ी कंपनी में चीफ इंजीनियर हैं। उन्होंने 2016 में फ्लैट बुक कराया था। 1.5 करोड़ का लोन एचडीएफसी बैंक से लिया। तीन साल तक सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि बिल्डर का रवैया लापरवाह है। बार-बार आदेश के बावजूद कंपनी की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ। आयोग के आदेश के बाद परिसर में जाने दिया गया। फ्लैट नहीं दिया गया। इस दौरान वादी को 30 लाख रुपये किराये के घर में खर्च करने पड़े। बिल्डर दो करोड़ रुपये मय ब्याज के वापस करेगा। 20.5 लाख रुपये देने के आदेश दिए। पूरी रकम का भुगतान दो महीने में करना होगा।

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