रुद्रपुर। सिंचाई विभाग की जमीन या फिर मास्टर प्लान में आवासीय के अलावा अन्य प्रयोग में दर्ज जमीन पर काबिज लोगों के मालिकाना हक के अरमानों को झटका लग सकता है। नगर निगम ने ऐसे मामलों की 1200 पत्रावलियों को रोक दिया है। निगम टाउन प्लानिंग, राजस्व व सिंचाई विभाग की टीम के साथ मिलकर पत्रावलियों का पुन: सत्यापन कराएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर रुद्रपुर में 50 मीटर तक नजूल भूमि पर काबिज गरीब परिवारों को निशुल्क मालिकाना हक देने की कसरत शुरू हुई थी। बुधवार को गांधी पार्क में मुख्यमंत्री धामी ने 2600 परिवारों को मालिकाना हक के स्वीकृति पत्र दिए। नगर निगम ने मालिकाना हक की 3800 पत्रावलियां तैयार की थीं लेकिन जमीन की पेच के चलते 2600 लोगों को स्वीकृति पत्र दिए हैं। नगर निगम के अनुसार 1200 ऐसी पत्रावलियों को रोका गया है, जो मास्टर प्लान 2031 के अनुसार पार्क, सार्वजनिक स्थान, ग्रीन बेल्ट, सड़क, नदी का किनारा है। इसमें कई मामले सिंचाई विभाग की अतिक्रमित जमीन के हैं। माना जा रहा है कि रोकी गईं पत्रावलियों में कई पत्रावलियां लैंडयूज के हिसाब से निशुल्क मालिकाना हक की योजना से बाहर हो जाएंगी। ऐसे में इन जमीनों पर काबिज गरीब लोगों के अरमान अधूरे रह सकते हैं। 1200 पत्रावलियों को फिलहाल गहन परीक्षण के लिए रोका गया है। ये पत्रावलियां उन जमीनों की हैं, जो महायोजना 2031 के अनुसार ग्रीन बेल्ट, सड़क, पार्क सहित अन्य प्रयोजनों की हैं। वहीं कुछ पत्रावलियों में सिंचाई विभाग की ओर से चिह्नित अतिक्रमण की बात भी सामने आई है। इन पत्रावलियों का टाउन प्लानिंग, राजस्व और सिंचाई विभाग के साथ मिलकर पुन: सत्यापन किया जाएगा। नियमानुसार जो पत्रावलियां सही पाई जाएंगी, उनमें मालिकाना हक संबंधी कार्रवाई की जाएगी। पूरी कोशिश है कि नियमानुसार पात्र लोगों को मालिकाना हक मिल सके।
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